Why Noted Journo Prabhat Shunglu starts Yutube Channel Newsbaaz?



Prabhat Shunglu on Facebook

कोरोना के समय व्यक्तिगत रूप से एक अच्छी खबर ये रही कि मेरे यू ट्यूब चैनल The NewsBaaz के एक लाख से ज्यादा subscribers हो गये हैं। पिछले साल जनवरी के आखिरी हफ्ते में ये चैनल शुरू किया था। न्यूज़बाज़ी शुरू हुई। धीरे धीरे पोस्ट प्रोडक्शन पर भी ज़ोर दिया। पूरी टीम ने मन लगा कर काम किया। Sajal और उसकी पूरी टीम का तहे दिल से शुक्रिया।

मैने जब अपना ये यू ट्यूब चैनल शुरू करने का इरादा किया उस वक्त मैं एक प्रतिष्ठित अंग्रेज़ी दैनिक के लिये साप्ताहिक कॉलम लिख रहा था। कुछ डिजिटल न्यूज़ पोर्टल के लिये भी अंग्रेज़ी और हिन्दी में लिख रहा था। मगर दिक्कत ये थी दूसरों के लिये लिखने का मतलब है कुछ कॉम्‌प्रोमाइज़ करना, कुछ अपनी कहना तो कुछ उनकी मानना। और फिर वेबसाइ्टस तो ये भी कह देती है भाईसाहब इसपर नहीं चाहिये, क्या आप उसपर लिख सकते हैं।    Sir, we have already assigned this to someone else. But can you give me an 800-words piece on this one…

अरे मुझे उसपर नहीं लिखना तो मैं क्यूं लिखूं तुम्हारे लिये। फिर तुम अपनी स्पेस के हिसाब से कैंची चला दोगे। इधर काटोगे, उधर छांटोगे। मेरे इलाहाबादीपने को खत्म करोगे। ये तो बर्दाश्त नहीं हो सकता गुरू। 

इसलिये सोचा जब लिखना ही है, अपनी बात दर्ज करानी ही है, और पूरे इलाहाबादी ठाठ के साथ पत्रकारिता करनी ही है तो अपना खुद की स्पेस क्यों न ढूँढी जाये। अपनी डिजीटल स्पेस। और चूँकि ज़माना वीडियो का है और टीवी से पुरानी वाक्फियत हैं इसलिये वीडियो प्लेटफॉर्म क्यों न क्रियेट किया जाये।  बस उसी मंथन से जन्म हुआ आपके द न्यूज़बाज़ यू ट्यूब चैनल का।c

एक चिंता ये ज़रूर थी कि अब कौन पहचानेगा। पिछले एक दशक से भी ज्यादा मैं टीवी का चेहरा नहीं था। रिपोर्टिंग छोड़े हुए ज़माना हो चुका था। टीवी के बाद के सालों में लीडरशिप रोल में कैमरे के पीछे ही था। पिछले सालों में तो ब्रॉडकास्ट इंडस्ट्री ही छोड़ चुका था। डिजिटल दुनिया में भी हाथ आज़माया, मगर टीवी से दूर रहा। यानि चिंता ये थी कि कौन देखेगा मेरा चैनल। और क्यों देखेगा। तुम हो कौन। कौन पहचानता है तुम्हे। और फिर इतने सालों में तुमने रंग भी तो बदल दिया है।

रंग से याद आया शुरू के दिनों में न्यूज़बाज़ शो पर जो दर्शकों के कमेंट आते थे उसमें ऐसे कमेंट आम थे – अंग्रेज़ मर गये औलाद छोड़ गये...ये अंग्रेज़ इतनी अच्छी हिंदी कैसे बोलता है..अब इस अंग्रेज़ से सीखेंगे भारत के बारे में।

मुझे कई बार हंसी आती थी, मगर मैने ऐसे कमेंट को लाइक करना या उसपर हार्ट यानि दिल का आइकन दबाना नहीं भूला। शो पर हर तरह के कमेंट आते हैं। कुछ जो आपको पसंद आते हैं, कुछ जो नहीं। लेकिन भाषा की मर्यादा का ख्याल रखा जाये तो सभी मत का स्वागत है। बहरहाल, लौटता हूं न्यूज़बाज़ी पर। 

अपनी न्यूज़बाज़ी में हर विषय पकड़ा। खासतौर पर वो मुद्दे जो मेनस्ट्रीम मीडिया में या तो दिखाये नहीं जाते या पूर्वाग्रहों के साथ पेश किये जाते हैं। चैनल शुरू करने से पहले ही मेरे मन में ये कतई साफ था कि बात बेबाक होगी, बेखौफ़ बोली जायेगी और निष्पक्षता के साथ बोली जायेगी। सत्ता से सवाल पूछे जायेंगे जो दरअसल पत्रकार का काम है। बस वही किया, वही कर रहा, आगे भी ये सिलसिला जारी रहेगा। 

पिछले हफ्ते ही मीडिया पर नया शो – News का Nonsense शुरू किया है। ये शो मीडिया के भोंपूओं, पत्रकार के भेस में न्यूज़ स्टूडियो में बैठे पार्टी प्रवक्ताओं, एजेंडा सेटिंग और फेक न्यूज़ पर ज़ोर देगा। दर्शकों ने ओपनिंग एपिसोड काफी सराहा, मानो शिकायत कर रहे कि ये शो पहले क्यों नहीं शुरू किया।

बहरहाल, न्यूज़बाज़ी का सफर जारी है। समय समय पर आप सभी मित्रों ने मेरे इस शो को सराहा, मेरा हौसला बढ़ाया उसके लिये आप सब का बहुत शुक्रिया।

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